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निर्माय
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sluggish
Meanings: 3; in Dictionaries: 3
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inert
Meanings: 17; in Dictionaries: 11
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soggy
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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torpid
Meanings: 5; in Dictionaries: 3
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अश्वबन्धः
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वेल्लनीपीठौ
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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वर्णफलकः
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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श्रीतालः
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अलातचक्रम्
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टेसू उत्सवः
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तृतीयः पटलः - अकडमचक्रम्
दीक्षायां सर्वचक्रानुष्ठानम्
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ललितार्चन चंद्रिका - अथ नैवेद्यम्
'ललितार्चन चंद्रिका' अर्थात् 'लधुचंद्रिका पद्धति' या प्रसिद्ध रचना सुंदराचार्य अर्थात् सच्चिदानंदनाथ यांच्या आहेत.
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अथान्त्येष्टिप्रयोगः - पालाशप्रतिकृतिदाहविधिः
‘कृत्य दिवाकरः’ या ग्रंथाद्वारे शास्त्रोक्त पूजा पाठ कसे करावेत याचे ज्ञान मिळते.
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प्रसृति
Meanings: 20; in Dictionaries: 6
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क्रिया कैरव चन्द्रिका - त्रयोविंशः परिच्छेदः
श्री वराहगुरुणाविरचितायां क्रियाकैरवचन्द्रिकाः
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क्रिया कैरव चन्द्रिका - सप्तत्रिंशः परिच्छेदः
श्री वराहगुरुणाविरचितायां क्रियाकैरवचन्द्रिकाः
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अथ ब्रह्मादिवास्तुमण्डलदेवतापूजनप्रयोगः
श्रीगायत्री परां देवीं विप्रेभ्योऽभयदां मुदा । वन्दे ब्रह्मप्रदां साक्षात्सच्चिदानंदरूपिणीम् ॥ अनुक्रमणिका प्रमाणे वाचन करावे.
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द्वितीयोध्यायः - सूत्र ४
ब्रह्मसूत्र वरील हा टीका ग्रंथ आहे. ब्रह्मसूत्र ग्रंथात एकंदर चार अध्याय आहेत.
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क्रिया कैरव चन्द्रिका - द्वाविंशः परिच्छेदः
श्री वराहगुरुणाविरचितायां क्रियाकैरवचन्द्रिकाः
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व्रतोद्यापन प्रयोगः - पूजा भाग १४
व्रत केल्यावर त्याचे उद्यापन पूर्ण झाल्याशिवाय फळ मिळत नाही , म्हणून उद्यापनांच्या प्रयोगांचा संग्रह . व्रत उद्यापनाने यजमानाची कर्मपूर्ति होते .
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क्रियाखण्डः - विषयानुक्रमणिका
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
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उमासहस्रम् - पञ्चमः स्तबकः
देवी देवतांची स्तुती करताना म्हणावयाच्या रचना म्हणजेच स्तोत्रे. A Stotra is a hymn of praise, that praise aspects of Devi and Devtas.
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उत्पत्तिप्रकरणं - सर्गः ६४
योगवासिष्ठः
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श्री नारदीयमहापुराणम् - नामैकादशाधिकशततमोऽध्यायः
`नारदपुराण’ में शिक्षा, कल्प, व्याकरण, ज्योतिष, और छन्द-शास्त्रोंका विशद वर्णन तथा भगवानकी उपासनाका विस्तृत वर्णन है।
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क्रिया कैरव चन्द्रिका - तृतीयः परिच्छेदः
श्री वराहगुरुणाविरचितायां क्रियाकैरवचन्द्रिकाः
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विषमालंकाराः - लक्षण ३
रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
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बलभद्रखण्डः - अध्यायः ७
गर्ग संहिता ही गर्ग मुनिंची रचना आहे. ह्या संहितेत श्रीकृष्ण आणि राधाच्या माधुर्य-भाव असलेल्या लीलांचे वर्णन आहे.
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अष्टमः स्कन्धः - अथ षष्ठोऽध्यायः
’ श्रीमद्भागवतमहापुराणम्’ ग्रंथात ज्ञान, वैराग्य व भक्ति यांनी युक्त निवृत्तीमार्ग प्रतिपादन केलेला आहे, अशा या श्रीमद्भागवताचे भक्तिने श्रवण, पठन आणि निदिध्यासन करणारा मनुष्य खात्रीने वैकुंठलोकाला प्राप्त होतो.
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चाटुप्रवाहवीचयः - सुभाषित १५२१ - १५४०
सुभाषित म्हणजे आदर्श वचन. सुभाषित गद्य किंवा पद्यात असतात. Subhashita means good speech.
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पञ्चषष्टितमः पटलः - शाकिनीध्यानम
शाकिणीसदाशिवार्चनम्
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चाटुप्रवाहवीचयः - सुभाषित १४०१ - १४२०
सुभाषित म्हणजे आदर्श वचन. सुभाषित गद्य किंवा पद्यात असतात. Subhashita means good speech.
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कोटिरुद्रसंहिता - अध्यायः २२
शिव पुराणात भगवान शिवांच्या विविध रूपांचे, अवतारांचे, ज्योतिर्लिंगांचे, शिव भक्तांचे आणि भक्तिचे विस्तृत वर्णन केलेले आहे.
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चाटुप्रवाहवीचयः - सुभाषित १३८१ - १४००
सुभाषित म्हणजे आदर्श वचन. सुभाषित गद्य किंवा पद्यात असतात. Subhashita means good speech.
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बलभद्रखण्डः - अध्यायः ८
गर्ग संहिता ही गर्ग मुनिंची रचना आहे. ह्या संहितेत श्रीकृष्ण आणि राधाच्या माधुर्य-भाव असलेल्या लीलांचे वर्णन आहे.
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व्रतोद्यापन प्रयोगः - पूजा भाग २४
व्रत केल्यावर त्याचे उद्यापन पूर्ण झाल्याशिवाय फळ मिळत नाही , म्हणून उद्यापनांच्या प्रयोगांचा संग्रह . व्रत उद्यापनाने यजमानाची कर्मपूर्ति होते .
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श्रीमच्छङ्करदिग्विजय: - त्रयोदश: सर्ग:
श्रीविद्यारण्यविरचित: श्रीमच्छडरदिग्विजय: ॥
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रामकृष्णस्तुतिः
महाराष्ट्रकविवर्य श्रीमयूरविरचिते ग्रन्थ ‘ संस्कृतकाव्यानि ’
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क्रिया कैरव चन्द्रिका - पञ्चत्रिंशः परिच्छेदः
श्री वराहगुरुणाविरचितायां क्रियाकैरवचन्द्रिकाः
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ललितार्चन चंद्रिका - अथ विशेषार्ध्यविधिः
'ललितार्चन चंद्रिका' अर्थात् 'लधुचंद्रिका पद्धति' या प्रसिद्ध रचना सुंदराचार्य अर्थात् सच्चिदानंदनाथ यांच्या आहेत.
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ५
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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पार्वतीखण्डः - अध्यायः ५०
शिव पुराणात भगवान शिवांच्या विविध रूपांचे, अवतारांचे, ज्योतिर्लिंगांचे, शिव भक्तांचे आणि भक्तिचे विस्तृत वर्णन केलेले आहे.
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पुरुषोत्तमसंहिता - एकादशोध्यायः
पुरुषोत्तमसंहिता
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विविधानुष्ठानप्रकारः
श्रीसूक्तविधानम्
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श्री नारदीयमहापुराणम् - द्वादशाधिकशततमोऽध्यायः
`नारदपुराण’ में शिक्षा, कल्प, व्याकरण, ज्योतिष, और छन्द-शास्त्रोंका विशद वर्णन तथा भगवानकी उपासनाका विस्तृत वर्णन है।
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अध्याय ७६ वा - श्लोक ६ ते १०
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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षष्ठाष्टक - पञ्चमोsध्याय:
श्रीमत्परमहंस वासुदेवानंदसरस्वतीस्वामीकृत " श्रीदत्तपुराणम् "
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श्री नारदीयमहापुराणम् - चतुर्दशाघिकशततमोऽध्यायः
`नारदपुराण’ में शिक्षा, कल्प, व्याकरण, ज्योतिष, और छन्द-शास्त्रोंका विशद वर्णन तथा भगवानकी उपासनाका विस्तृत वर्णन है।
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उत्तरकांडम् - काव्य ३५१ ते ४००
उत्तरकाण्डम् या प्रकरणातील श्लोकातील सातवे अक्षर श्री रा म ज य रा म ज य ज य रा म असे आहे.
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निर्वाणप्रकरणं - सर्गः १४२
योगवाशिष्ठ महारामायण संस्कृत साहित्यामध्ये अद्वैत वेदान्त विषयावरील एक महत्वपूर्ण ग्रन्थ आहे. ह्याचे रचयिता आहेत - वशिष्ठ
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